न घर में रहता हूँ, न खुले आसमान में रहता हूँ
आजकल मैं लोगों की जुबान पर रहता हूँ
मुझको भी नशा हुआ, सरुर में रहा कुछ दिन
अब ठोकर लगी तो होंश में रहता हूँ
कितना मुश्किल है इस हाल में रहना
जो जैसे चाहता है, मैं वैसे रहता हूँ
पेट की आग बहुत दूर खींच लाई मुझको
अब दिन रात घर की यादों में रहता हूँ